Acharya Vinoba Bhave (आचार्य विनोबा भावे) : मानवता के पुजारी और भारत रत्न से सम्मानित व्यक्ती हे !

Acharya Vinoba Bhave

Acharya Vinoba Bhave: भारत रत्न से सम्मानित महान व्यक्तित्व

Acharya Vinoba Bhave भारतीय इतिहास के एक अद्वितीय संत, समाज सुधारक, और स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका नाम उन महापुरुषों में शामिल है जिन्होंने अपने जीवन को समाज सेवा और मानवता की भलाई के लिए समर्पित कर दिया। वे महात्मा गांधी के सबसे करीबी अनुयायियों में से एक थे और अहिंसा व सत्य के आदर्शों को आगे बढ़ाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी इन्हीं उपलब्धियों के कारण उन्हें 1983 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

विनोबा भावे इनका जन्म 11 सितंबर 1895 को महाराष्ट्र के कोलाबा जिले (अब रायगढ़) के गागोड़े गांव में हुआ था। उनका असली नाम विनायक नरहरि भावे था। उनकी माता रुक्मिणी देवी धार्मिक और आध्यात्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं, जिनसे विनोबा को आध्यात्मिकता और सेवा की प्रेरणा मिली। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करने के बाद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में अध्ययन किया। हालांकि, उनका झुकाव प्रारंभ से ही आध्यात्मिक और सामाजिक कार्यों की ओर था।

गांधीजी के साथ जुड़ाव

1916 में विनोबा भावे जी महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उनके साथ काम करने का निर्णय लिया। उन्होंने साबरमती आश्रम में प्रवेश किया और गांधीजी के नेतृत्व में स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। गांधीजी की शिक्षाओं का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा और वे उनके प्रमुख शिष्यों में गिने जाने लगे। विनोबा ने जीवनभर गांधीजी के अहिंसा, सत्य और सर्वोदय के सिद्धांतों को आगे बढ़ाने का काम किया।

भारत रत्न से सम्मानित

Acharya Vinoba Bhave इनको 1983 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें उनके अद्वितीय योगदान और समाज के प्रति उनकी सेवाओं के लिए दिया गया। उन्होंने अपने जीवनकाल में समाज सुधार, आध्यात्मिकता, और शांति की स्थापना के लिए जो कार्य किए, वे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

विनम्र और प्रेरणादायक जीवन

विनोबा भावे का जीवन सादगी और त्याग का प्रतीक था। उन्होंने कभी भी व्यक्तिगत सुख-सुविधाओं की ओर ध्यान नहीं दिया और हमेशा समाज के लिए काम किया। वे मानते थे कि सच्ची सेवा वही है जो निस्वार्थ भाव से की जाए।

निष्कर्ष

Acharya Vinoba Bhave इनका जीवन और कार्य हमें यह सिखाते हैं कि सच्चा संत वही है जो समाज की सेवा और कल्याण के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दे। उनके द्वारा शुरू किया गया भूदान आंदोलन, उनकी साहित्यिक कृतियां और उनका सरल जीवन आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करता है। भारत रत्न से सम्मानित होकर उन्होंने न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में अपने विचारों और कार्यों की पहचान बनाई। वे सच्चे अर्थों में मानवता के पुजारी और महानायक थे।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top