
ISRAEL WAR : अक्टूबर 2024 में इजरायल और फिलिस्तीन के बीच तनाव और हिंसा चरम पर पहुंच चुकी है। इस युद्ध की शुरुआत फिलिस्तीनी संगठन हमास के इजरायल पर किए गए रॉकेट हमलों से हुई। इजरायल ने जवाबी कार्रवाई में गाजा पर हवाई हमले किए, जिनमें कई नागरिकों की मौत हुई है। इस बार का संघर्ष काफी गंभीर है, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए हैं और हजारों घायल हुए हैं। इजरायल ने गाजा पट्टी पर पूरी तरह से घेराबंदी कर दी है, जिससे वहां मानवीय संकट और गहरा गया है।
संयुक्त राष्ट्र और कई अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन इस संघर्ष को रोकने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है। गाजा में हालात और बिगड़ते जा रहे हैं, जहां बिजली, पानी और अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी हो गई है। इस बीच, इजरायल का कहना है कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए हर कदम उठाएगा, जबकि हमास ने भी कहा है कि वह इजरायल के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेगा।
इस संघर्ष का असर केवल इजरायल और फिलिस्तीन तक ही सीमित नहीं है। लेबनान के हिज़बुल्लाह संगठन ने भी इजरायल के खिलाफ हमले शुरू कर दिए हैं, जिससे लेबनान और इजरायल के बीच भी तनाव बढ़ रहा है। इसके अलावा, ईरान और अन्य पड़ोसी देश भी इस संघर्ष में अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हो सकते हैं, जिससे पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र में अस्थिरता फैलने की आशंका है।
इस युद्ध के पीछे कई कारण हैं, जिनमें लंबे समय से चले आ रहे क्षेत्रीय विवाद, धार्मिक असहमति और राजनीतिक अस्थिरता प्रमुख हैं। यरुशलम, जो यहूदी, मुस्लिम और ईसाई तीनों के लिए एक पवित्र स्थल है, इस संघर्ष का केंद्र बना हुआ है। इजरायल द्वारा यरुशलम पर पूर्ण नियंत्रण की कोशिशों को फिलिस्तीनी पक्ष अपनी संप्रभुता के खिलाफ मानता है, जिससे दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।
इस संघर्ष ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं। अमेरिका और यूरोप के कई देश इजरायल के साथ खड़े हैं और हमास के हमलों की निंदा कर रहे हैं। वहीं, कुछ मुस्लिम बहुल देश फिलिस्तीन के समर्थन में खड़े हैं और इजरायल की नीतियों की आलोचना कर रहे हैं।संघर्ष के कारण आर्थिक प्रभाव भी दिखाई दे रहे हैं, खासकर तेल की कीमतों में उछाल और वैश्विक बाजारों में अस्थिरता के रूप में। इस बीच, आम जनता दोनों पक्षों में इस संघर्ष से सबसे ज्यादा पीड़ित हो रही है। गाजा और इजरायल दोनों ही ओर से हजारों लोग अपने घरों से विस्थापित हो चुके हैं और मानवीय सहायता की कमी से जूझ रहे हैं।
संक्षेप में, इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष इस समय एक गंभीर मोड़ पर है, और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के हस्तक्षेप के बिना इसका समाधान जल्द होता नहीं दिख रहा है